अलीगढ़ का अति प्राचीन मंदिर अचलेश्वर धाम
अलीगढ़ का अति प्राचीन मंदिर अचलेश्वर धाम के खुले प्रांगन में महादेव जी का भव्य मंदिर बना हुआ हैं. इस मंदिर के पश्चिमी दिशा में एक आयताकार अचल सरोवर बना हुआ हैं. सरोवर की लम्बाई 220 चौड़ाई 125 गज हैं. सरोवर के उत्तरी - पूर्वी कोने पर गोमुखी हैं, जिसमे कभीगंगा जैसी पवित्र नदी का जल आता था . 1856 में हरदुआगंज के निकट बह रही अपर गंगानहर से क्वार्सी बम्बा में जल आता था. क्वार्सी बम्बा के जरिये ही रामघाट सड़क के सहारे पक्की जलप्रवाह निकालकर इसी गोमुखी से जोड़ा गया था, जिससे अचल सरोवर में जलगिरता था. वर्तमान समय में ये सरोवर सुखा और सरकारी बेकदरी के कारण उजड़ा पड़ा हैं.अचलेश्वर धाम के सामने स्थित रामलीला मैदान में जब रामलीला होती है तो सरयू पार लीला केदोरान ही इस सरोवर में पानी भरा जाता है. सरोवर के बीचो - बीच शिव जी का मंदिर बना हुआहैं. इस मंदिर के चारो ओर लोहे की रेलिंग लगी हुई है तथा इस मंदिर तक आने के लिये पश्चिमी दिशा की ओर से एक पुल बना हुआ हैं. अचलेश्वर धाम के चारो ओर विभिन्न देवी- देवताओं के दर्जनों मंदिर बने हुए है. अचल ताल के उत्तरी तट पर मनकामेश्वर, महामाया औरबारह भगवान के अति प्राचीन मंदिर हैं. यही उत्तरी - पूर्वी कोण पर बने गोमुखी के पास एक गुफाथी, जिसमे कभी सिध्द पुरुष एकांत साधना किया करते थे. ये भी बताया जाता की हैं की मथुराऔर भरतपुर के राजा रहे सूरजमल जाट का अधिकार अलीगढ़ पर हुआ तो यहाँ घाटों का निर्माण कराया था.