Wednesday, December 15, 2010

Hum Kyon Sachaei Ko Svikaar Nahin Kar Paten Hai ?

हम भारतीयों कि यह एक विशेषता है कि हम सचाई को इतनी आसानी से स्वीकार नहीं कर पातें है . इसी का एक उधाहरण इन दोनों तस्वीरों से साफ हो रहा है कि हम अभी तक विकास कि दोड़ में  कहाँ तक पहुंचे हैं फिर भी हम भारतीय इस अंधविस्वास में है कि बहुत जल्द हम विश्वशक्ति बनने कि दोड़ में सबसे आगे है. ऐसा सपना हम क्यों देखते है जो सच नहीं हो सकता है मगर ये सपना हमने खुद नहीं देखा बल्कि हमारी निक्कम्मी सरकारें हमें अपनी नाकामयाबी और भ्रषता छिपाने के लिए हमें दिखतीं है परन्तु ऐसा नहीं है कि आज का जागरूक नागरिक इन बातों से अनजान है उसे सब पता है कि वह क्या कर रहें है और क्या नहीं कर रहें. जिस देश में बच्चों को पेट भरने के लिए खाना नहीं है, अच्छी शिक्षा का इंतजाम नहीं कर सकती हैं उन्हें ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए.-
उमाकांत सिंह 

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